QUICK BITES
- अस्थमा के रोगी।
- अस्थमा से बचाव।
- जरूरी है अस्थमा का इलाज।
अस्थमा या दमा एक ऐसी बीमारी है जिसे अगर जीती जागती मौत कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। यह एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जिसमें मरीज का सांस लेना काफी मुश्किल हो जाता है। बिगड़ते लाइफस्टाइल, अनियमित खानपान, भागदौड़ भरी जिंदगी और शहरों में बढ़ते प्रदूषण के चलते लगातार देश में अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
वैसे तो अस्थमा होने के कई कारण हैं जैसे कि, मिलावटी खानपान, धूम्रपान, घर के पालतू जानवर, अधिक मात्रा में शराब पीना, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, सर्दी के मौसम में ज़्यादा ठंड, ज़्यादा नमक खाने के कारण, तनाव, मोटापा आदि। लेकिन इस रोग के होने के मुख्य कारण है वायु प्रदूषण। अगर आकड़ों की बात करें तो भारत में अस्थमा के कुल रोगी 15 से 20 करोड़ हैं। बदलते लाइफस्टाइल के चलते ये बीमारी बच्चों में भी फैल रही है। मौजूदा वक्त में कुल 12 प्रतिशत शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं। विश्वभर में 1 लाख 80 हजार मौतें अस्थमा के कारण हो रही हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह बीमारी सबसे ज्यादा 4 से 11 साल तक के बच्चों को हो रही है। एक अध्ययन के मुताबिक पिछले चार सालों में अस्थमा की दवाइयों की बिक्री 43% बढ़ी है।
वैसे तो अस्थमा होने के कई कारण हैं जैसे कि, मिलावटी खानपान, धूम्रपान, घर के पालतू जानवर, अधिक मात्रा में शराब पीना, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, सर्दी के मौसम में ज़्यादा ठंड, ज़्यादा नमक खाने के कारण, तनाव, मोटापा आदि। लेकिन इस रोग के होने के मुख्य कारण है वायु प्रदूषण। अगर आकड़ों की बात करें तो भारत में अस्थमा के कुल रोगी 15 से 20 करोड़ हैं। बदलते लाइफस्टाइल के चलते ये बीमारी बच्चों में भी फैल रही है। मौजूदा वक्त में कुल 12 प्रतिशत शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं। विश्वभर में 1 लाख 80 हजार मौतें अस्थमा के कारण हो रही हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह बीमारी सबसे ज्यादा 4 से 11 साल तक के बच्चों को हो रही है। एक अध्ययन के मुताबिक पिछले चार सालों में अस्थमा की दवाइयों की बिक्री 43% बढ़ी है।
अस्थमा या दमा एक गंभीर बीमारी है जो श्वांस नलिकाओं को प्रभावित करती है। अस्थमा होने पर श्वांस नलिकाओं की भीतरी दीवार पर सूजन आ जाती है। इस स्थिति में सांस लेने में दिक्कत होती है और फेफड़ों में हवा की मात्रा कम हो जाती है। अस्थमा के मुख्य लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई होना, सीने में जकड़न, बेचैनी महसूस होना, खांसी आना, नाक बजना, छाती कड़ी होना और सिर भारी होना मुख्य लक्षण हैं। दमा का दौरा पड़ने पर श्वांस नलिकाएं पूरी तरह बंद हो जाती हैं जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है। अस्थमा एक गंभीर बीमारी है और इसका दौरा पड़ने पर व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।
अस्थमा से बचाव
- अस्थमा रोगी के लिए बचाव बेहद जरूरी है, ऐसे में आप धूल मिट्टी से दूर रहें। साफ-सफाई करने से बचें और पुराने धूल-मिट्टी के कपड़ों से दूर रहें।
- पालतू जानवरों के बहुत करीब ना जाएं और उन्हें हर सप्ताह नहलाएं।
- डॉक्टर से संपर्क करें और उनके दिशा-निर्देशानुसार इनहेलर का प्रयोग करें।
- अस्थमा होने पर धूम्रपान से दूर रहें और धूम्रपान करने वाले लोगों से भी दूरी बनाएं।
- अस्थमा अटैक होने पर तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें अन्यथा इनहेलर का प्रयोग करें।
- समय-समय पर अपनी जांच करवाएं।
- अस्थमा रोगियों के लिए व्यायाम करना बेहद जरूरी होता है।
अस्थमा के घरेलू नुस्खे
- यदि आप भी अस्थमा से पीडि़त हैं तो आपको चाहिए कि आप कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाएं जिससे आप अस्थमा को नियंत्रित कर सकें।
- अस्थमा के इलाज के लिए सबसे कारगर होता है लहसुन। यदि आप दूध में लहसुन की कुछ उबालें और प्रतिदिन दूध के साथ इसका सेवन करें तो आपको अस्थमा नियंत्रण में बहुत आराम मिलेगा।
- अदरक की गर्म-गर्म चाय भी अस्थमा के दौरान बहुत लाभकारी होती है। इसके साथ ही आप गर्म चाय में लहसुन की कुछ कलियां मिलाकर चाय का सेवन करें ये भी अच्छा उपाय है।
- अजवायन का गर्म पानी और इसकी भाप भी अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद होती है।
- उबले हुए लौंग के गर्म पानी में शहद मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएं। ये बहुत लाभकारी है